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Showing posts from September, 2019

जीविका दीदियों को दी गयी पोषण की जानकारी

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जल जीवन हरियाली समेत अन्य सरकारी योजनाओं की भी दी गयी जानकारी मुख्य अतिथि के रूप में ग्रामीण स्वरोजगार संस्थान के डायरेक्टर के.सी मलिक ने भी  सभा को किया संबोधित। प्रखंड के फतेहपुरवाला पंचायत भवन पर जीविका दीदियों द्वारा एक भव्य सभा का आयोजन किया गया। इस सभा के आयोजन का उद्देश्य गांव में चल रहे विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी देना। सभा की अध्यक्षता जीविका के प्रखण्ड परियोजना प्रबंधक ओसामा हसन ने की। मुख्य अतिथि ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के डायरेक्टर के सी मलिक थे। मुख्य अतिथि के सी मलिक ने जीविका दीदियों को जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान समस्तीपुर के अग्रणी बैंक यूनियन बैंक द्वारा चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार का प्रशिक्षण मुफ्त दिया जाता है। ये प्रशिक्षण प्राप्त कर समूह से जुड़ी दीदियाँ स्वामलम्बन बन सकती हैं। गव्य पालन एवं वेर्मिकम्पोस्ट, सिलाई, मशरूम, ब्यूटिशियन, सॉफ्ट टॉय, अचार पापड़ आदि की ट्रेनिंग दी जाती है। हेल्थ एंड न्यूट्रिशन ऑफिसर फरहान अली फ़ैज़ी ने पोषण पर विशेष जानकारी दी। उन्होंने बताया कि  शिशु के लिए 1000

लक्षित परिवारों को जीविका से जोड़ने का अभियान आरम्भ

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लक्षित परिवारों को जीविका से जोड़ने का अभियान आरम्भ -वर्ष के अंत तक संपूर्ण सामाजिक समावेशन का लक्ष्य सरायरंजन/समस्तीपुर लक्षित परिवारों को जीविका समूहों के साथ जोड़ने के उद्देश्य से जीविका द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है। संपूर्ण सामाजिक समावेशन अभियान के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रखंड में 24 एवं 25 सितम्बर को समूह निर्माण दिवस का आयोजन किया गया है। इसी क्रम में मंगलवार  को समूह निर्माण दिवस विभिन्न पंचायतों में सफलता पूर्वक आयोजित किया गया। प्रखंड परियोजना प्रबंधक बैधनाथ साहू के नेतृत्व में झखड़ा पंचायत के कंकाली पुर, नरभोगी पंचायत के भोजपुर कुर्मी टोला आदि स्थानों पर समूहों का निर्माण किया गया। जीविका के बीपीएम श्री साहू ने बताया कि जीविका का लक्ष्य इस वर्ष के अंत तक प्रखंड के सभी लक्षित परिवारों को समूह के साथ जोड़ना है। इस दिशा में जीविका सरायरंजन की टीम निरन्तर कार्य कर रही है। उन्होंने आगे बताया कि अभी तक सरायरंजन प्रखंड में 2192 समूहों का गठन किया जा चुका है शेष वैसे गरीब परिवार जो अभी तक समूह से नहीं जुड़ पाए हैं उन्हें समूह से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्हो

मानसिक रूप से विक्षिप्त और बेसहारा लोगों को मिले उनका अधिकार

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मानसिक रूप से विक्षिप्त और बेसहारा लोगों को मिले उनका अधिकार आज जब मैं टाटानगर जमशेदपुर रेलवे स्टेशन से समस्तीपुर का टिकट ले कर बाहर निकला और साकची जाने वाली ऑटो के लिए खड़ा था तभी मेरी नज़र दो व्यक्ति पर पड़ती है। इनमे से एक पुरुष और दूसरी महिला थी। पुरुष जिसका दाढ़ी बढ़ा है और हांथ में कोई कागज़ के टुकड़ा लिए देख रहा है। शायद अपनी तकदीर पढ़ रहा हो। दूसरी महिला थी और उसके पास अखबार और कुछ कागज़ बिखड़े पड़े थे। देख कर ही लग रहा था  कि ये दोनो मानसिक रूप से विक्षिप्त और बेसहारा हैं।  जब भी ऐसे बेसहारा लोगों को देखता हूं दिल दहल जाता है और मन विचलित हो उठता है। लगभग हर शहर में मानसिक रूप से विक्षिप्त और बेसहारा लोग मिल जाएंगे। चुकी मेरा बचपन समस्तीपुर में बीता है मैंने समस्तीपुर स्टेशन के आस पास ऐसे लोगों को बहुत देखा है। जब भी इन्हें देखता ख्याल आता पता नही समस्तीपुर में ये कहाँ से चले आते हैं? क्या इनका कोई परिवार नही होता? क्या इन्हें इनके परिवार वाले नही खोजते? ये सब सोच कर दिल दिल घबरा जाता था। लेकिन धीरे धीरे  पता चला ये हर शहर की कहानी है। ये हर शहर में मिल जाते हैं। समस्तीपुर

जंगल के फूल

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जंगल के फूल Short Story लेखक- ओसामा हसन पता नही ये कौन सा फूल है। जब भी मैं अपने डेरा से निकलता हूं इसे देख कर खुश हो जाता हूं। सोचने लगता हूं। इस जंगल का फूल भी इतना खूबसूरत है। लेकिन फूल शायद मुझे देख कर कभी खुश नही होता। जब भी मैं उधर से गुजरता और फूलों को देखता ऐसा लगता फूल मुझे कह रहा हो "मेरी भी एक फोटो ले लो। सारी दुनिया की फ़ोटो लेते हो मेरी क्यों नही। क्या मैं देखने मे सूंदर नही। क्या मुझे देख कर लोगों को खुशी नही मिलती? क्या फेसबुक पर मुझे लाइक नही मिलेगा" मैंने कई बार मोबाइल निकालने की कोशिश की लेकिन ये सोच कर की आते जाते लोग क्या कहेंगे। मैं अपनी मोबाइल को फिर से पॉकेट में रख लेता। जब भी मैं मोबाइल निकालता मुझे एहसास होता कि ये जंगली फूल मुझे कह रहे हों शाबाश। लेकिन फूलों की शाबाशी पर ये बात भारी पड़ जाती की लोग क्या कहेंगे। एक बार  मैंने धीरे से मोबाइल फ़ोटो खीचने की गर्ज़ से निकाला दूर से ही चुपचाप फ़ोटो ले लिया। घर पर आकर जब फ़ोटो देखा तो दूर से भी पिले फूल जो हरे पत्तों के ऊपर थे बहुत सुंदर लग रहे थे। लेकिन फिर मुझे एहसास हुआ कि ये फूल मुझे कह रहे हैं कि नज़दी