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Showing posts from 2019

ए खुदा चाहे मेरी जान ले ले लेकिन इस बच्चे को दुरुस्त कर दे: रात भर बुजुर्ग मेरे लिए दुआ करता रहा- डॉ सुधाकर ठाकुर

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ए खुदा चाहे मेरी जान ले ले लेकिन इस बच्चे को दुरुस्त कर दे: रात भर बुजुर्ग मेरे लिए दुआ करता रहा। सुबह उठा तो पता चला उस बुजुर्ग की मौत हो गयी है। बात सन 1994 की है मैं पटना में पढ़ता था अचानक बीमार पड़ गया इतना बीमार की जिंदगी खत्म ही समझो मुझे होस्टल के कुछ छात्रों और मेरे बड़े भाई ने पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल  में भर्ती करवाया ! डॉक्टर ने कहा बस और 10 मिनट देर होती तो बचना मुश्किल था मुझे इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया लोगों ने बताया कि मेरे बेड के दोनों बगल वाले आज हीं  दम तोड़ दिए हैं फिर मेरे बगल वाले बेड पर एक मुस्लिम बुजुर्ग भर्ती हुए मैं इतना बीमार था कि सिर्फ सुन सकता था बोलने की शक्ति नही बची थी ! मैंने रात भर उस मुस्लिम बुजुर्ग को  अपने अल्लाह से बस यही कहते देखा  कि ए खुदा चाहे मेरी जान ले ले लेकिन इस बच्चे को दुरुस्त कर दे क्योंकि मैंने तो अपनी जिंदगी जी ली लेकिन इसे तो जीना है ,पता नही कब मेरी आँखें बंद हो गयी और मैं गहरी नींद में सो गया सुबह आंखे तब खुली जब मैंने उस बुजुर्ग मुस्लिम के परिवार जनों को उनके मैय्यत पर रोते देखा ! मैं कैसे कह सकता था कि इस महान आदमी न

जीविका द्वारा आयोजित रोज़गार मेले में 1035 युवाओं का निबंधन 213 को मिली नौकरी

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जीविका द्वारा रोजगार मेले का आयोजन -1035 युवाओं का हुआ निबंधन -213 युवाओं को मिली नौकरी -399 को मिलेगा प्रशिक्षण कल्याणपुर/समस्तीपुर जीविका, कल्याणपुर द्वारा गुरुवार को स्थानीय वीरसिंहपुर चौक उच्च विद्यालय के प्रांगण में रोजगार-सह-दिशा निर्देशन मेला का आयोजन किया गया। रोजगार मेला का उद्धाटन विधिवत दीप प्रज्वलित कर जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक गणेश पासवान, सीएफएम कुणाल कुमार, पीसीआई के उत्त्पल गांगुली, परवेज अशरफ, विद्यालय की प्राचार्या अनुराधा, सीएलएफ की लीडर रूही तब्बसुम, डीआरसीसी के राजेश कुमार, आईबीसीबी मैनेजर प्रशांत रंजन, बीजीएसवाई के बीपीएम नंदलाल जी आदि ने सयुंक्त रूप से किया। स्वागत गीत जीविका दीदियां रिंकू देवी, कंचन, वीणा, कामिनी, बबिता आदि ने प्रस्तुत किया। उद्घाटन के पूर्व अतिथियों को पौधा प्रदान कर जीविका दीदियों ने स्वागत किया। स्वागत संबोधन जीविका के प्रबंधक संचार राजीव रंजन ने किया। जीविका के क्रियाकलापों पर प्रकाश डालते हुए जिला परियोजना प्रबंधक गणेश पासवान ने कहा कि बेरोजगार युवक-युवतियों के लिए रोजगार मेला एक अच्छा अवसर है। उन्होंने जीविका दीदियों से अनुरो

जानिए समस्तीपुर क्यों आई थी अर्थशास्त्र के नॉबेल पुरुस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी की संस्था जे-पाल

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बिहार में जीविका के साथ काम करती है जे पाल।समस्तीपुर सतत जीविकोपार्जन परियोजना में कर रही है मदद। भारतीय-अमरीकी अर्थशास्त्री अभिजीत विनायक बनर्जी को इस साल का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है. यह पुरस्कार उन्हें उनकी पत्नी इश्तर डूफलो और माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से दिया गया है। नोबेल पुरस्कार देने वाली रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ़ साइंसेज़ ने अपने बयान में कहा है, "2019 के अर्थशास्त्र पुरस्कार के इन विजेताओं ने ऐसे शोध किए जो वैश्विक ग़रीबी से लड़ने की हमारी क्षमता में काफ़ी सुधार करता है." अभिजीत बनर्जी ने 1981 में कलकत्ता विश्विद्यालय से विज्ञान में ग्रेजुएशन करने के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय से 1983 में एम.ए किया। 1988 में उन्होंने अपनी पी एच डी हावर्ड यूनिवर्सिटी से मोकम्मल की। पी एच डी पूरी करने के बाद उन्होंने हावर्ड और प्रिंसटन में पढ़ाने के बाद 1993 में एमआईटी जॉइन किया । एमआईटी में पढ़ाने के दौरान  2003 में उन्होंने अब्दुल लतीफ़ जमील पोवर्टी एक्शन लैब (जे- पाल) की शुरुआत की और वह इसके डायरेक्टर बने. यह लैब उन्होंने इश्तर डूफ़लो और सेंथिल

जीविका दीदियों को दी गयी पोषण की जानकारी

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जल जीवन हरियाली समेत अन्य सरकारी योजनाओं की भी दी गयी जानकारी मुख्य अतिथि के रूप में ग्रामीण स्वरोजगार संस्थान के डायरेक्टर के.सी मलिक ने भी  सभा को किया संबोधित। प्रखंड के फतेहपुरवाला पंचायत भवन पर जीविका दीदियों द्वारा एक भव्य सभा का आयोजन किया गया। इस सभा के आयोजन का उद्देश्य गांव में चल रहे विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी देना। सभा की अध्यक्षता जीविका के प्रखण्ड परियोजना प्रबंधक ओसामा हसन ने की। मुख्य अतिथि ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के डायरेक्टर के सी मलिक थे। मुख्य अतिथि के सी मलिक ने जीविका दीदियों को जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान समस्तीपुर के अग्रणी बैंक यूनियन बैंक द्वारा चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार का प्रशिक्षण मुफ्त दिया जाता है। ये प्रशिक्षण प्राप्त कर समूह से जुड़ी दीदियाँ स्वामलम्बन बन सकती हैं। गव्य पालन एवं वेर्मिकम्पोस्ट, सिलाई, मशरूम, ब्यूटिशियन, सॉफ्ट टॉय, अचार पापड़ आदि की ट्रेनिंग दी जाती है। हेल्थ एंड न्यूट्रिशन ऑफिसर फरहान अली फ़ैज़ी ने पोषण पर विशेष जानकारी दी। उन्होंने बताया कि  शिशु के लिए 1000

लक्षित परिवारों को जीविका से जोड़ने का अभियान आरम्भ

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लक्षित परिवारों को जीविका से जोड़ने का अभियान आरम्भ -वर्ष के अंत तक संपूर्ण सामाजिक समावेशन का लक्ष्य सरायरंजन/समस्तीपुर लक्षित परिवारों को जीविका समूहों के साथ जोड़ने के उद्देश्य से जीविका द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है। संपूर्ण सामाजिक समावेशन अभियान के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रखंड में 24 एवं 25 सितम्बर को समूह निर्माण दिवस का आयोजन किया गया है। इसी क्रम में मंगलवार  को समूह निर्माण दिवस विभिन्न पंचायतों में सफलता पूर्वक आयोजित किया गया। प्रखंड परियोजना प्रबंधक बैधनाथ साहू के नेतृत्व में झखड़ा पंचायत के कंकाली पुर, नरभोगी पंचायत के भोजपुर कुर्मी टोला आदि स्थानों पर समूहों का निर्माण किया गया। जीविका के बीपीएम श्री साहू ने बताया कि जीविका का लक्ष्य इस वर्ष के अंत तक प्रखंड के सभी लक्षित परिवारों को समूह के साथ जोड़ना है। इस दिशा में जीविका सरायरंजन की टीम निरन्तर कार्य कर रही है। उन्होंने आगे बताया कि अभी तक सरायरंजन प्रखंड में 2192 समूहों का गठन किया जा चुका है शेष वैसे गरीब परिवार जो अभी तक समूह से नहीं जुड़ पाए हैं उन्हें समूह से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्हो

मानसिक रूप से विक्षिप्त और बेसहारा लोगों को मिले उनका अधिकार

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मानसिक रूप से विक्षिप्त और बेसहारा लोगों को मिले उनका अधिकार आज जब मैं टाटानगर जमशेदपुर रेलवे स्टेशन से समस्तीपुर का टिकट ले कर बाहर निकला और साकची जाने वाली ऑटो के लिए खड़ा था तभी मेरी नज़र दो व्यक्ति पर पड़ती है। इनमे से एक पुरुष और दूसरी महिला थी। पुरुष जिसका दाढ़ी बढ़ा है और हांथ में कोई कागज़ के टुकड़ा लिए देख रहा है। शायद अपनी तकदीर पढ़ रहा हो। दूसरी महिला थी और उसके पास अखबार और कुछ कागज़ बिखड़े पड़े थे। देख कर ही लग रहा था  कि ये दोनो मानसिक रूप से विक्षिप्त और बेसहारा हैं।  जब भी ऐसे बेसहारा लोगों को देखता हूं दिल दहल जाता है और मन विचलित हो उठता है। लगभग हर शहर में मानसिक रूप से विक्षिप्त और बेसहारा लोग मिल जाएंगे। चुकी मेरा बचपन समस्तीपुर में बीता है मैंने समस्तीपुर स्टेशन के आस पास ऐसे लोगों को बहुत देखा है। जब भी इन्हें देखता ख्याल आता पता नही समस्तीपुर में ये कहाँ से चले आते हैं? क्या इनका कोई परिवार नही होता? क्या इन्हें इनके परिवार वाले नही खोजते? ये सब सोच कर दिल दिल घबरा जाता था। लेकिन धीरे धीरे  पता चला ये हर शहर की कहानी है। ये हर शहर में मिल जाते हैं। समस्तीपुर

जंगल के फूल

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जंगल के फूल Short Story लेखक- ओसामा हसन पता नही ये कौन सा फूल है। जब भी मैं अपने डेरा से निकलता हूं इसे देख कर खुश हो जाता हूं। सोचने लगता हूं। इस जंगल का फूल भी इतना खूबसूरत है। लेकिन फूल शायद मुझे देख कर कभी खुश नही होता। जब भी मैं उधर से गुजरता और फूलों को देखता ऐसा लगता फूल मुझे कह रहा हो "मेरी भी एक फोटो ले लो। सारी दुनिया की फ़ोटो लेते हो मेरी क्यों नही। क्या मैं देखने मे सूंदर नही। क्या मुझे देख कर लोगों को खुशी नही मिलती? क्या फेसबुक पर मुझे लाइक नही मिलेगा" मैंने कई बार मोबाइल निकालने की कोशिश की लेकिन ये सोच कर की आते जाते लोग क्या कहेंगे। मैं अपनी मोबाइल को फिर से पॉकेट में रख लेता। जब भी मैं मोबाइल निकालता मुझे एहसास होता कि ये जंगली फूल मुझे कह रहे हों शाबाश। लेकिन फूलों की शाबाशी पर ये बात भारी पड़ जाती की लोग क्या कहेंगे। एक बार  मैंने धीरे से मोबाइल फ़ोटो खीचने की गर्ज़ से निकाला दूर से ही चुपचाप फ़ोटो ले लिया। घर पर आकर जब फ़ोटो देखा तो दूर से भी पिले फूल जो हरे पत्तों के ऊपर थे बहुत सुंदर लग रहे थे। लेकिन फिर मुझे एहसास हुआ कि ये फूल मुझे कह रहे हैं कि नज़दी

एक बाबा ऐसे भी: जानिए असाढ़ी के जल मंदिर की कहानी

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एक बाबा ऐसे भी। जब बात बाबा की हो रही हो तो कुछ पॉजिटिव भी होना चाहिए। शायद ही कुछ लोग जानते होंगे की समस्तीपुर ज़िले के ताजपुर प्रखंड के रामापुर महेशपुर पंचायत के आसाढी ग्राम में देवेन्द्र नारायण ठाकुर नाम के बाबा का वास था। इन्होंने अपनी पूरी जिंदिगी सेवा में गुज़ार दी। पहले देश की सेवा की फिर धर्म की। महात्मा देवेन्द्र नारायण ठाकुर बहुत कम उम्र में ही घर छोड़ कर चले गए और CRPF ज्वाइन कर लिया। यहाँ उन्होंने अपने विलक्षण प्रतिभा के कारण सिपाही पद से तरक्की कर के SP तक का पद प्राप्त किया और इसी पद से रिटायर कर गए। गांव के लोग बताते हैं ये 22 साल के बाद पहली बार अपने ग्राम आये और मंदिर का शिलान्यास रखा। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपना पुरे जीवन की पूंजी को धर्म के काम में लगा दिया। उन्होंने गांधी चौक से ले कर आसाढी तक कई मंदिर का निर्माण किया। जिसमे जल मंदिर जो तालाब के बीचो बीच है सबसे महत्वपूर्ण है। तालब के बीच में राम जानकी मंदिर है और उसके चारो तरफ भी कई मंदिर हैं जिसमे शिव मंदिर दुर्गा मंदिर आदि प्रमुख हैं। इस स्थल की तुलना ताजपुर के वरिष्ठ पत्रकार R.p. Singh Nirala जी  ने अपने ल

370 मुक्त भारत या कुपोषण मुक्त भारत: भारत के लिए क्या है ज़रूरी?

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370 मुक्त भारत या कुपोषण मुक्त भारत: भारत के लिए क्या है ज़रूरी? ---------------------------------------------------------------- Osama Hasan जितना हल्ला हमने  आर्टिकल 370 के लिए किया है अगर उसका 10 प्रतिशत भी कुपोषण के लिए किया जाता तो शायद हमारी ये हालत न होती। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे - 4 के अनुसार 2015- 16 के अनुसार भारत मे 38.4% बच्चे स्टंट ( नाटे) हैं और 35.8 % बच्चे underweight हैं। ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स में भारत का स्थान 195 देश के सूची में 158 है। ऐसे बच्चे जो अपने उम्र के अनुसार या तो बहुत नाटे होते हैं या दुबले उन्हें कुपोषित बच्चा माना जाता है। माँ का पोषण का स्तर, दूध पिलाने का व्यवहार, महिला शिक्षा और सफाई आदि कुपोषण के कारक हैं। कुपोषण बच्चों को कई तरीके से प्रभावित करता है। कुपोषण के कारण बच्चों में तरह तरह की बीमारियां होती हैं, बच्चों में नाटापन होता और विकास बहुत धीमा होता है। कुपोषण का असर सिर्फ स्वास्थ्य पर ही नही पड़ता है बल्कि इसके असरात जीवनपर्यंत रहते हैं। इसका प्रतिकूल प्रभाव मानव संसाधन, गरीबी देश के विकास पर भी पड़ता है। शोध बताते हैं कि कुपोषण का असर

जीविका दीदियों ने मनाया अनोखा रक्षा बंधन। पेड़ को राखी बांध सुरक्षा का लिया शपथ

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जीविका दीदियों ने मनाया अनोखा रक्षा बंधन ताजपुर,समस्तीपुर:- रक्षाबन्धन एक हिन्दू व जैन त्योहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं। रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है, रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है।रक्षाबंधन के दिन बहने भगवान से अपने भाईयों की तरक्की के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। इतिहास में राखी के महत्व के अनेक उल्लेख मिलते हैं। मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने मुगल राजा हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा-याचना की थी। ह

ऑटो चालक मुन्ना ने ईमानदारी की मिसाल क़ायम की। ऑटो चालकों का गर्व सें सर किया ऊँचा

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दरभंगा: ऑटो चालक मुन्ना ने ईमानदारी की मिसाल क़ायम की। कहा भगवान का दिया सब कुछ है। किसी का कुछ ले लेने से कोई बड़ा नही हो जाता। आज मैं (ओसामा हसन) मेरे दोस्त तारिक़ ईक़बाल भाई के मिलान चौक स्थित रिहाइश पर ईद मिलने जा रहा था। दरअसल तारिक़ भाई के यहाँ मेरी डॉ अय्यूब राईन साहेब और बेदारी कारवां के राष्ट्रीय अध्यक्ष नज़रे आलम साहेब की दिन के खाने की दावत थी। गंगवारा स्थित घर से निकल कर सड़क पर आने के बाद अयूब साहेब से बात करने के बाद बाइक से लिफ्ट ले कर क़ैदराबाद स्थित पुरानी बस स्टैंड पहुचा। वहाँ से ऑटो में बैठ कर मिलान चौक पर पहुचा। जब तारिक़ भाई के घर पहुचा तो मोबाइल निकालने के लिए जेब मे हाथ डाला। देखा मोबाइल जेब मे नही था। मैंने तारिक़ भाई को आवाज़ दिया की मेरा मोबाइल गिर गया है। उन्होंने मेरे मोबाइल पर तुरंत कॉल लगाया।मेरा पसंदीदा रिंग टोन ( अपने लिए जिए तो क्या जीए तू जी ऐ दिल ज़माने के लिए) बजना शुरू हो गया।रिंग होने से थोड़ी बेचैनी कम हुई। किसी ने फ़ोन उठाया। मुझे थोड़ी और तसल्ली हुई। उधर से आवाज़ आई आपका मोबाइल गिर गया था। मैंने कहा आप ऑटो वाले भाई साहब बोल रहे हैं।उन्होंने कहा जी मैं ऑट

शादी के समय आठवीं में पढ़ती थी 20 साल बाद ग्रेजुएशन भी किया

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आस पास के लोगों के लिए बन चुकी हैं आदर्श जेठानी बनी प्रेरणा की श्रोत समस्तीपुर/ताजपुर ग्रेजुएशन पास करने के बाद सविता के खुशी का ठिकाना नही है। ऐसा लगता है कोई बड़ा जंग जीत चुकी हैं। खुशी के मारे सविता दीदी के आंखों से आँसू छलक रहे थे और कह रही थीं। मैन सपने में भी नही सोचा था कि एक गाँव की लड़की जिसकी शादी आठवीं कक्षा में ही हो जाती है वो ग्रेजुएशन भी कर सकती है।  1986 में जन्मी सविता कुमारी का विवाह 1999 में उस समय कर दिया जाता है जब वो मात्र 13 वर्ष की थीं और आठवीं कक्षा की छात्रा थीं। शादी के बाद अन्य महिला की तरह सविता कुमारी सविता देवी हो जाती हैं और उनके शिक्षा पर रोक लगा दिया जाता है। लेकिन जब दिल मे ललक हो तो रास्ते बन ही जाते हैं। 2007 तक जब सविता 2 बच्चे की माँ बन जाती हैं उस समय सहायिका बनने का शौक जागता है। उनके पंचायत रहीमाबाद में सहायिका की रिक्तियां निकलती है जिसे वो भरती हैं। लेकिन किसी कारण वस उसे कैंसिल कर दिया जाता है। लेकिन उनके अंदर पढ़ने की ललक जाग जाती है। ये पूछे जाने पर की उन्हें पुनः पड़ने की प्रेरणा कहाँ से मिली और किसने पढ़ाई में मदद की सविता देवी बताती

गुणवत्ता और ब्रांडिंग से बदलेगी मधुमक्खीपालकों की स्थिति

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मधुमक्खी पालन पर जीविका द्वारा कार्यशाला आयोजित समस्तीपुर। जीविका एवं प्रसार शिक्षा निदेशालय, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के सयुंक्त तत्वाधान में बुधवार को मधुमक्खीपालन मूल्यवर्धन श्रृंखला पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन निदेशक प्रसार शिक्षा, पूसा विवि केएम सिंह, विश्व बैंक के देवराज बेहरा, वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार, डॉ. नीरज कुमार, एस. पी. एम. सिंह आदि ने सयुंक्त रूप से दीप प्रज्ववलित कर किया। मंच संचालन डॉ. पुष्पा सिंह ने किया। विषय प्रवेश करते हुए विश्व बैंक के श्री बेहरा ने वर्तमान की गतिविधि और भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला। डॉ. मनोज कुमार ने मधुमक्खी पालन गतिविधि में हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। डॉ. नीरज कुमार ने जीविका दीदियों को मधु की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया। एस. पी. एम. सिंह ने कहा कि जीविका दीदियां मधुमक्खी पालन गतिविधि से जुड़कर अपना आर्थिक स्थिति में सुधार तो करती ही हैं बिहार की प्रगति में भी भूमिका निभाती हैं। के. एम. सिंह ने ज्यादा उत्पादन और ब्रांड पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जीविका के कारण दीदियों को वित्त की समस्या

.....और पिंकी बनी बैंक वाली दीदी।। कहानी बदलाव की

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...और पिंकी बनी बैंक वाली दीदी राजीव रंजन  समस्तीपुर जिले के मोरवा प्रखंड अन्तर्गत वाजिदपुर की पिंकी की कल तक अपनी कोई पहचान नहीं थी, पर आज गांव-समाज में लोग उन्हें उनके नाम और काम से जानते हैं। आज हर वर्ग के लोग उनकी इज्जत करते हैं। मात्र 27 वर्ष की उम्र में ही पिंकी सफलता की नित्य नई कहानियां लिख रही हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि की पिंकी स्नातक उत्तीर्ण हैं और उनके आंखों में कई सपने पल रहे थे। उनके सपनों को पंख लगाने का काम उनके परिजनों के साथ जीविका ने किया। आज जीविका की मदद से पिंकी दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक, हलई में बैंक मित्र के रूप में कार्य कर रही हैं। पिंकी जीविका दीदियों को तो बैंकिंग संबंधित कार्यों में मदद कर ही रही हैं, अपने क्षेत्र के ग्रामीण लोगों की बैंकिंग से जुड़ी आदतों में भी बदलाव ला रही हैं। कल तक जो लोग बैंक जाने से कतराते थे या जिनकी रूचि बैंकों की विभिन्न योजनाओं से लाभ लेने में नहीं थी उन्हें भी पिंकी ने बैंकों से जोड़ा और उसका लाभ दिलवा रही हैं। इसी का नतीजा है कि पिंकी के कारण आज दर्जनों दीदियों ने अपना व्यक्तिगत खाता बैंकों में खुलवाया और अपना बीमा भी

महिलाओं को सम्मान दिलाना यही जिंदिगी का मक़सद

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ताजपुर प्रखंड के मुरादपुर बंगरा पंचायत की निवासी विभा कुमारी और मुसर्रत खातून अब प्रखंड में चर्चा का विषय बनी हुई हैं।जब मकसद एक हो तो बीच की सारी दीवारें कमज़ोर पैड जाती हैं। अलग अलग धर्म के होने के बावजूद दोनों की दोस्ती बेमिसाल है। और दोनों का मक़सद भी एक। जीविका समूह से जुड़ने से पहले वे घरेलू महिला थीं और घरेलू तो आज भी है। घर का काम काज देखती हैं। लेकिन जीविका समूह से जुड़ने के बाद इनकी जिंदिगी में बहुत बड़ा परिवर्तन आया। विभा कुमारी समूह की सदस्य से बुक कीपर बनी। अब वो पंचायत के पांच ग्राम संगठन देख रही हैं। बुक कीपर के रूप में उन्होंने ग्राम संगठन से जुड़ी दीदियों को जीविकोपार्जन से जोड़ने के लिए मशरूम की खेती करने के लिए प्रेरित किया। उन्ही की प्रेरणा से पँचायत में और प्रखंड के दूसरे पंचायत में  आज जीविका से जुड़ी सैकड़ों दीदी मशरुर का प्रशिक्षण ले कर खेती कर रही हैं जिससे उनके जीविकोपार्जन में उन्नति हुई है। स्वच्छता अभियान को इन्होंने एक क्रांति का रूप दिया। इन्होंने न सिर्फ शौचालय निर्माण के लिए समूह की दीदियों को प्रेरित किया बल्कि शौचालय निर्माण के बाद प्रोत्सान राशि मे व्याप

Pamariya: An untold Story

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Book Reviewer:- Osama Hasan Name of Book:- Pamariya Writer: Dr. Aiyub Rayeen Publication:- Heritage Publication On the occasion of Munshi Premchand birth anneversary on 31st July 2015, a book named "Pamariya" has been released by the chief guest Dr. Aijaz Ali(a surgeon  and former Parliamentarian). An edited book published by Heritage publication. Editor of this book is Dr. Aiyub Raiyeen-is well known writer, activist and popular for his work on Pasmanda muslims also known as Dalit Musalman. He himself belongs to a pasmanda muslim family. Very humble and dawn to earth in nature,  Dr Ayub Rayeen is laborious and dedicated towards his work.  Started a journal- " Journal of social reality" in 2009  to sensitize the issues of Pasmanda muslims. Through his journal he shows the pathetic condition of dalit muslims in India .His research articles on nine different  obscure castes of muslims published as book titled -" Bharat Ke Dalit Musalman" in 2013

जीविका द्वारा आयोजित कार्यशाला में दी गयी बिहार स्टूडेंट क्रेडिट योजना की जानकारी

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ताजपुर/समस्तीपुर: स्थानीय हरिशंकरपुर बघौनी पंचायत स्थित जीवन सहारा जीविका संकुल संघ के कार्यालय में ताजपुर के 15 के 33 साल तक के युवाओं के लिए जीविका ताजपुर द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का मकसद युवाओं को सही दिशा  निर्देश देना है ताकि मैट्रिक इंटर पास युवाओं को सही दिशा निर्देश मिल सके और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें। मौके पर उपस्थित प्रखण्ड परियोजना प्रबंधक ओसामा हसन ने कहा कि युवाओं को कैरियर चुनते समय सावधान रहने की ज़रूरत है। कैरियर विज्ञान, कला और कॉमर्स तीनो क्षेत्र में है। लेकिन विषय ऐसा ही रखना चाहिए जिसमें सबसे ज़्यादा इंटरेस्ट हो। सही दिशा में मेहनत करने से ही सफलता मिलती है। ज़िला निबंधन कार्यालय समस्तीपुर से आए असिस्टेंट मैनेजर राजीव कुमार रंजन ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना बिहार सरकार सात निश्चय में से एक है। इसके तहत 15 से 33 साल तक के विद्यार्थी मैट्रिक से आगे की पढ़ाई के लिए  चार लाख तक का लोन ले सकते हैं। बिहार सरकार ने 42 कोर्स को अनुसूचित किया है। यानी विद्यार्थी 42 कोर्

जीविका समूह में जुड़ कर बदल रही है जिंदिगी।जानिए समस्तीपुर के एक समूह की कहानी

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काफी दिनों बाद SHG मीटिंग में गया। समूह का नाम है बाबा ख्वाजा स्वयं सहायता समूह।समूह के 12 सदस्यों में से 11 मुसलमान। 11 हवारी यानी धोबी जाति के मुसलमान।  हमने जानने की कोशिश की समूह से जुड़ने के बाद कुछ फायदा भी हुआ या बस यूं ही चल रहा है। जो जवाब मिला वो सुन कर खुशी हुई। सब ने कहा बहुत फायदा हुआ है। मुझे और उत्सुकता हुई। मैंने पूछा क्या फायदा हुआ? इसमे से अक्सर सदस्यों ने कहा समूह से ऋण ले कर घर बनाया, शौचालय बनाया। हमने पुछा क्या आपके पास पहले घर नही था? सब ने एक साथ कहा था लेकिन करकट का या खपड़े या टट्टी का। समूह से ऋण लेकर पक्का करवाया। इसी बीच एक दीदी ने कहा हमरे 50000 की ज़रूरत है छत ढलवाने के लिए। यानी कुछ और दीदी छत ढलवाने के लिए बची हैं। हमने पूछा घर बनवाने से आमदनी तो नही बढ़ेगी। आमदनी बढ़ाने के लिए क्या किया? तब उन्होंने बताया कि बकरी, गाय खरीद कर पाल रही हैं। ज़मीन ठीका पर ले कर खेती कर रही हैं। उनमें से एक दीदी ऐसी थीं जिनके जिंदिगी में आमूल चूल परिवर्तन देखने को मिला। ये परिवर्तन आया शराब बंदी के कारण। पहले उनके पति शराब पी कर घर को खराब किए हुए थे जो भी कमाई थी शराब या ताड़ी