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Showing posts from August, 2019

एक बाबा ऐसे भी: जानिए असाढ़ी के जल मंदिर की कहानी

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एक बाबा ऐसे भी। जब बात बाबा की हो रही हो तो कुछ पॉजिटिव भी होना चाहिए। शायद ही कुछ लोग जानते होंगे की समस्तीपुर ज़िले के ताजपुर प्रखंड के रामापुर महेशपुर पंचायत के आसाढी ग्राम में देवेन्द्र नारायण ठाकुर नाम के बाबा का वास था। इन्होंने अपनी पूरी जिंदिगी सेवा में गुज़ार दी। पहले देश की सेवा की फिर धर्म की। महात्मा देवेन्द्र नारायण ठाकुर बहुत कम उम्र में ही घर छोड़ कर चले गए और CRPF ज्वाइन कर लिया। यहाँ उन्होंने अपने विलक्षण प्रतिभा के कारण सिपाही पद से तरक्की कर के SP तक का पद प्राप्त किया और इसी पद से रिटायर कर गए। गांव के लोग बताते हैं ये 22 साल के बाद पहली बार अपने ग्राम आये और मंदिर का शिलान्यास रखा। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपना पुरे जीवन की पूंजी को धर्म के काम में लगा दिया। उन्होंने गांधी चौक से ले कर आसाढी तक कई मंदिर का निर्माण किया। जिसमे जल मंदिर जो तालाब के बीचो बीच है सबसे महत्वपूर्ण है। तालब के बीच में राम जानकी मंदिर है और उसके चारो तरफ भी कई मंदिर हैं जिसमे शिव मंदिर दुर्गा मंदिर आदि प्रमुख हैं। इस स्थल की तुलना ताजपुर के वरिष्ठ पत्रकार R.p. Singh Nirala जी  ने अपने ल

370 मुक्त भारत या कुपोषण मुक्त भारत: भारत के लिए क्या है ज़रूरी?

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370 मुक्त भारत या कुपोषण मुक्त भारत: भारत के लिए क्या है ज़रूरी? ---------------------------------------------------------------- Osama Hasan जितना हल्ला हमने  आर्टिकल 370 के लिए किया है अगर उसका 10 प्रतिशत भी कुपोषण के लिए किया जाता तो शायद हमारी ये हालत न होती। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे - 4 के अनुसार 2015- 16 के अनुसार भारत मे 38.4% बच्चे स्टंट ( नाटे) हैं और 35.8 % बच्चे underweight हैं। ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स में भारत का स्थान 195 देश के सूची में 158 है। ऐसे बच्चे जो अपने उम्र के अनुसार या तो बहुत नाटे होते हैं या दुबले उन्हें कुपोषित बच्चा माना जाता है। माँ का पोषण का स्तर, दूध पिलाने का व्यवहार, महिला शिक्षा और सफाई आदि कुपोषण के कारक हैं। कुपोषण बच्चों को कई तरीके से प्रभावित करता है। कुपोषण के कारण बच्चों में तरह तरह की बीमारियां होती हैं, बच्चों में नाटापन होता और विकास बहुत धीमा होता है। कुपोषण का असर सिर्फ स्वास्थ्य पर ही नही पड़ता है बल्कि इसके असरात जीवनपर्यंत रहते हैं। इसका प्रतिकूल प्रभाव मानव संसाधन, गरीबी देश के विकास पर भी पड़ता है। शोध बताते हैं कि कुपोषण का असर

जीविका दीदियों ने मनाया अनोखा रक्षा बंधन। पेड़ को राखी बांध सुरक्षा का लिया शपथ

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जीविका दीदियों ने मनाया अनोखा रक्षा बंधन ताजपुर,समस्तीपुर:- रक्षाबन्धन एक हिन्दू व जैन त्योहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं। रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है, रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है।रक्षाबंधन के दिन बहने भगवान से अपने भाईयों की तरक्की के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। इतिहास में राखी के महत्व के अनेक उल्लेख मिलते हैं। मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने मुगल राजा हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा-याचना की थी। ह

ऑटो चालक मुन्ना ने ईमानदारी की मिसाल क़ायम की। ऑटो चालकों का गर्व सें सर किया ऊँचा

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दरभंगा: ऑटो चालक मुन्ना ने ईमानदारी की मिसाल क़ायम की। कहा भगवान का दिया सब कुछ है। किसी का कुछ ले लेने से कोई बड़ा नही हो जाता। आज मैं (ओसामा हसन) मेरे दोस्त तारिक़ ईक़बाल भाई के मिलान चौक स्थित रिहाइश पर ईद मिलने जा रहा था। दरअसल तारिक़ भाई के यहाँ मेरी डॉ अय्यूब राईन साहेब और बेदारी कारवां के राष्ट्रीय अध्यक्ष नज़रे आलम साहेब की दिन के खाने की दावत थी। गंगवारा स्थित घर से निकल कर सड़क पर आने के बाद अयूब साहेब से बात करने के बाद बाइक से लिफ्ट ले कर क़ैदराबाद स्थित पुरानी बस स्टैंड पहुचा। वहाँ से ऑटो में बैठ कर मिलान चौक पर पहुचा। जब तारिक़ भाई के घर पहुचा तो मोबाइल निकालने के लिए जेब मे हाथ डाला। देखा मोबाइल जेब मे नही था। मैंने तारिक़ भाई को आवाज़ दिया की मेरा मोबाइल गिर गया है। उन्होंने मेरे मोबाइल पर तुरंत कॉल लगाया।मेरा पसंदीदा रिंग टोन ( अपने लिए जिए तो क्या जीए तू जी ऐ दिल ज़माने के लिए) बजना शुरू हो गया।रिंग होने से थोड़ी बेचैनी कम हुई। किसी ने फ़ोन उठाया। मुझे थोड़ी और तसल्ली हुई। उधर से आवाज़ आई आपका मोबाइल गिर गया था। मैंने कहा आप ऑटो वाले भाई साहब बोल रहे हैं।उन्होंने कहा जी मैं ऑट