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Showing posts from February, 2021

झगरौआ मदरसा दरभंगा के बच्चों ने ब्लड डोनेशन कैम्प में दिखाया जोश

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 दिनांक 07/02/2021 को मंसूर हसन रिसर्च फाउंडेशन के बैनर तले रक्तदान शिविर सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समस्तीपुर रेल डिवीज़न के सहायक रेल प्रबंधक श्री ज़फ़र आज़म ने कहा कि खुशी ऐश और आराम में नही,बेहतर मकान, बेहतर सवारी में नही है खुशी दुसरो की मदद करने में है। उन्होंने कहा कि इस प्रोग्राम में आकर मुझे बेहद खुशी मिली है। ये लोगों की भलाई का काम है। मंसूर हसन रिसर्च फाउंडेशन ने जो कार्यक्रम आयोजित किया है इससे लोगों की जान बचाई जा सकती है। दूसरे संस्थाओं को इससे सीख लेकर ऐसे प्रोग्राम ज़रूर आयोजित करने चाहिए।  रेल प्रबंधक ज़फ़र आज़म ने कहा कि मंसूर हसन साहेब रेल में एक ईमानदार ऑफिसर के रूप में जाने जाते थे। कोई भी पोस्ट छोटा या बड़ा नही होता इंसान का काम बड़ा होता है मंसूर हसन साहेब ने अपने काम को ईमानदारी से किया। अब उनके औलाद उनकी शिक्षाओं को लोगों तक पंहुचा रहे हैं।  ज़फ़र आज़म साहेब ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि युवा शिक्षा पर ध्यान दें। वो किसी को दिखाने के लिए नही खुद के लिए पढ़ें। उन्होंने कहा कि युवाओं को सोशल मीडिया से दूर रहना चाहिए। उन्होंने स्वाथ्य

जब मैंने पहली बार ब्लड डोनेट किया उस समय 48 किलो मेरा वज़न था।

 जब मैंने पहली बार रक्तदान किया ........... जब मैंने पहली बार रक्तदान किया उस समय मेरा वज़न मात्र 48 किलो था। उस वक़्त Tabrez Ahmad  भाई ने भी मेरे साथ अपोलो हॉस्पिटल दिल्ली में 2007 में रक्तदान किया था। Mosharraf भाई,  Sajjad भाई और Md Fahim  भाई को शायद याद हो। उस दिन ह्यूमन राइट्स की टीम NHRC विजिट पर गयी थी।  कई बार ऐसा हुआ जब मेरे वजन की वजह से मेरा ब्लड नही लिया गया। एक बार होली फैमिली में  ब्लड देने पहुंचा तो वहाँ पर कुछ महिलाओं ने मुझे देख कर कहा कि मेरा ब्लड ले लो इस बच्चे का ब्लड मत लो। एसकोर्ट हार्ट में तो खूब केले खा कर गया था कि वजन कम न हो फिर भी 49 किलो तक ही पहुच सका और मेरा ब्लूड लेने से इनकार कर दिया । उस वक़्त बहुत अफसोस हुआ था कि इस लायक भी नही की किसी के काम आ सकूं। ख़ैर अल्लाह ने मेरी सुन ली और मेरा थोड़ा वजन बढ़ा। अब अल्लाह का शुक्र है 60 किलो का हूं और कल के कैम्प में मैने 8वीं बार  ब्लूड  डोनेट किया। इस मेरे बगल वाले चौकी पर Asif Iqubal भाई हैं। इस बार 35 रक्तविरों के साथ मंसूर हसन रिसर्च फाउंडेशन के ब्लड डोनेशन कैम्प में मैंने ब्लड डोनेट किया।  अब इंशा अल्लाह हर तीन

ब्लड मैन ऑफ बिहार के नाम से प्रसिद्ध उमेश प्रसाद को मिला लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड

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मंसूर हसन रिसर्च फाउंडेशन ने दिया ये अवार्ड।। मोहम्मद अशफाक और नजमुस साकिब को दिया गया Appreciation Award ........................…........................................ दरभंगा: मंसूर हसन रिसर्च फाउंडेशन द्वारा दरभंगा के निवासी उमेश प्रसाद को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। ये अवार्ड उन्हें दरभंगा शहर के गंगवारा स्थित मंसूर एन्क्लेव में आयोजित रक्तदान शिविर सह सम्मान समारोह में दिया गया। उमेश प्रसाद जी को ये अवार्ड समस्तीपुर रेल डिवीज़न के ADRM श्री ज़फ़र आज़म ने अपने हाथों से दिया। श्री आज़म ने उमेश प्रसाद जी के कार्यों की भूरी भूरी प्रसंशा की और कहा कि इससे बढ़ कर पुण्य का कोई दूसरा काम नही है।       ज्ञातव्य हो कि उमेश प्रसाद जी अब तक 61 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। और उनकी इक्षा है कि ब्लड डोनेशन में शतक लगाएं। उमेश जी हर 3 महीने पर अपना रक्तदान करते हैं।  RuralCollective से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उन्होंने सर्वप्रथम 25 वर्ष की उम्र में 1992 में रक्त दान किया था। उस समय को याद करते हुए बताते हैं कि स्वर्गीय शिवचंद्रा झा ( पूर्व सांसद मधुबनी ) की बेटी को एनीमिया था और उन्ह