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Showing posts from March, 2020

कहीं आपके आस पास के गरीब lockdown के कारण भूखे तो नही रह रहे हैं।

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अभी तक भारत मे कुल 700 से अधिक मामले कोरोना के मरीज़ पहचान में आ चुके हैं 16 की म्रत्यु भी हो चुकी। कोरोना के मरीजों की संख्या और म्रत्यु में रोज़ बढ़ोतरी हो रही है। स्थिति गंभीर है। इस स्थिति में नियमो के पालन करने में ही भलाई है। अपने अपने धर्म के अनुसार पूजा अपने घरों पर ही करें। भीड़ कहीं भी जमा न करें। ज़िद न करें। जान बचाना फ़र्ज़ है। #Lockdown का पालन करने में ही भलाई है। #Lockdown का असर समाज के गरीब तबके को सबसे ज़्यादा होने वाला है। सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ पैकेज का भी announce किया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राशन कार्ड धारियों को एक महीने का मुफ्त राशन और 1000 रुपय देने की बात कही है। केंद्र और राज्य सरकारें इस स्थिति से निपटने का हर सम्भव प्रयास कर रही है। हाँ इसमे भी कोई शक नही है कि स्वास्थ्य सेवाओं में हम पिछड़े हुए हैं। सरकारी सेवाओं के पहुचने में थोड़ा समय लग सकता है। जब तक guidline आएगी उस समय तक गरीब कोरोना की जगह भूख से भी मर सकते हैं। Guideline नही आने के कारण बिहार में मेरी जानकारी में इस महीने  मुफ़्त राशन नही मिल रहा है। ऐसे में हमारी और

मेरे स्टूडेंट ही मेरा संदेश हैं: मास्टर ग़ुलाम फ़रीद

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मेरे स्टूडेंट ही मेरा संदेश हैं: मास्टर ग़ुलाम फ़रीद ............................................................. शक्ल और पहनावे से साधारण से दिखने वाले असाधारण व्यक्तित्व के मालिक मास्टर गुलाम फरीद दरभंगा हेड क्वार्टर से 35 किलोमीटर दूर प्रखण्ड अलीनगर, दरभंगा (बिहार) के निवासी हैं। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने वालिद (पिता) श्री मंज़ूर हसन के पेशा को अपनाया। मंज़ूर हसन पेशे से शिक्षक थे। उन्होंने न सिर्फ अलीनगर बल्कि आस पास के इलाके के बच्चों को उस समय शिक्षा दी जब शिक्षा विरले ही किसी को मिलती थी। मंज़ूर हसन फ़ारसी और उर्दू के मशहूर शिक्षक थे। उर्दू और फ़ारसी अदब (साहित्य) पर उनकी मजबूत पकड़ थी। ग़ुलाम फरीद ने अपने पेशे की शुरुआत उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले से की। उस समय उनके बड़े भाई मंसूर हसन गोरखपुर में रेलवे में मोलाज़िम थे। गोरखपुर के जनता इंटर कॉलेज में बतौर गणित और विज्ञान के शिक्षक के अपनी मोलाज़मत शुरू की। पढ़ाने के स्टाइल के कारण कुछ ही दिनों में वो कॉलेज में प्रसिद्ध हो गए। 1979 में बिहार में सरकारी नौकरी मिल जाने के कारण वो अपने पैतृक गांव अलीनगर वापस आ गए और पोहद्दी हाई स्