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Showing posts from 2020

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना की पूरी जानकारी यहाँ से प्राप्त करें।

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  बिहार   मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना।  सरकार द्वारा कन्याओं के सशक्तिकरण के लिए निरंतर प्रयास किए जाते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा समय-समय पर कई सारी योजनाएं आरंभ की जाती हैं। बिहार सरकार ने कन्या शाशक्तिकरण के लिए एक अनोखी योजना शुरू की है जिसका नाम मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना है।  यह योजना बिहार सरकार द्वारा राज्य की कन्याओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आरंभ की गई है। इस योजना के अंतर्गत कन्याओं को लगभग ₹50000 की धनराशि स्नातक डिग्री प्राप्त करने तक प्रदान की जाएगी। यह धनराशि उन्हें उनके जन्म से लेकर स्नातक डिग्री प्राप्त करने तक किस्तों में प्रदान की जाएगी। इस योजना का लाभ लगभग 1.50 करोड़ का कन्याएं उठा पाएंगी। Mukhyamantri Kanya Utthan Yojana का लाभ एक परिवार की केवल 2 बेटियां ही उठा सकती है। इस योजना के अंतर्गत सेनेटरी नैपकिन खरीदने के लिए तथा यूनिफॉर्म खरीदने के लिए भी सरकार द्वारा धनराशि प्रदान की जाएगी। सेनेटरी नैपकिन खरीदने के लिए ₹300 की राशि दी जाती है जबकि यूनिफार्म खरीदने के लिए सरकार द्वारा 1 से 2 साल की आयु के लिए ₹600, 3 से 5 साल की आयु के लिए ₹70

दीदी की नर्सरी(मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना) से रेखा को मिली एक नई पहचान

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 सफलता की कहानी...... दीदी की नर्सरी (मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना)से रेखा को मिली एक नई पहचान ...........................…............................... पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक सशक्तीकरण की तरफ बढ़ाया कदम। बिहार के समस्तीपुर जिले का एक महत्वपूर्ण प्रखंड है मोरवा। मोरवा प्रखंड के निकसपुर के रेखा देवी की अपनी आज अलग पहचान है। कल तक रेखा देवी एक सामान्य घरेलू महिला थीं, जो आर्थिक कठिनाईयों का सामना कर रही थीं। पति खेती, मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे | परन्तु आर्थिक तंगी के कारण वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठे जिसके कारण रेखा देवी पति का इलाज व बच्चो के परवरिश को लेकर बहुत परेशान, लाचार व् विवश थी । प्रकृति का नियम है कि हर अंधेरी रात के बाद सुबह निश्चित रूप से होती है। ठीक ऐसा ही हुआ रेखा देवी के साथ। उनके स्याह जीवन के बदलाव की स्वर्णिम सुबह जीविका के साथ जुड़ने से हुई। जीविका के साथ बीत रहा हर क्षण रेखा देवी में आए सकारात्मक बदलाव का कारण बना। जीविका की मदद एवं रेखा के प्रयास के कारण आज रेखा का जीवन पूरी तरह बदल गया है। रेखा 2014 में पहली वार घर से बाहर आ कर जीविक

स्कूल फ्रेंड्स के साथ वर्चुअल मीटिंग एक अलग सा एहसास दे गया।

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 वैसे तो हमारा हर दिन यादगार होता है। और मेरा सबसे अच्छा दिन वो होता है जिस दिन हम किसी की मदद कर पाते हैं। किसी के काम आ पाते हैं। लेकिन आज का दिन कुछ अलग सा एहसास दे गया। और ऐसा कम ही होता है जब हम एक दिन पहले आने वाले दिन का इंतेज़ार करते हैं। कल जब सोमनाथ का मैसेज आया कि कल यानी संडे को स्कूल फ्रेंड्स के साथ वर्चुअल मीटिंग है उसी वक़्त से हम आज के दिन का इंतेज़ार कर रहे थे। 10 बजे से मीटिंग का समय था लेकिन हम 5 मिनट पहले ही जुड़ गए। कमाल तो ये था हमसे पहले भी कुछ साथी जुड़े हुए थे। मोबाइल के स्क्रीन पर सोमनाथ के साथ हम सबके चहिते शिक्षक गायत्री मैडम और गणेश सर भी थे। गणेश सर से समस्तीपुर में कभी कभी मुलाक़ात हो जाती थी लेकिन गायत्री मैडम से 23 साल के बाद मुलाकात हुई। जितने हम खुश थे गणेश सर और गायत्री मैडम भी उतनी ही खुश थीं उनके आंखों में चमक थी। धीरे धीरे  दीपक, प्रभास, दुर्गा, ज़हीर, राजेश, विप्लव, सुनील, शाहनवाज़, रत्ना और रजनी रजनी जुड़ते गए। कुछ देर सब एक दूसरे को कॉल करने में बिजी रहे कि सबको जोड़ा जाए। लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी सभी दोस्त नही जुड़ पाए। ज़ाहिर है सब के पास कुछ न कुछ ज़रू

मुख्यमंत्री पद के लिए दो स्वघोषित उम्मीदवारों में काँटे की टक्कर

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पलूरल्स से युवा उम्मीदवार पुष्पम प्रिया चौधरी हैं जबकि दूसरी तरफ मल्टी कल्चरलस के युवा उम्मीदवार ओसामा हसन हैं। दिल्ली से वरिष्ठ संवाददाता प्रणव आसामी की रिपोर्ट। नई दिल्ली: जैसे जैसे बिहार में इलेक्शन करीब आ रहा है वैसे वैसे मुख्यमंत्री पद की दावेदारी मज़बूत होती जा रही है। अभी तक बिहार में पलूरल्स से मुख्यमंत्री पद की एक मात्र स्वघोषित उम्मीदवार पुष्पम प्रिया चौधरी थी। लेकिन लगता है पुष्पम के लिए मुख्यमंत्री पद की कुर्सी इतनी आसान नही होगी।  पिछले दिनों बिहार के जोशीले युवा ओसामा हसन ने भी मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है। एक संक्षिप्त साक्षात्कार में ओसामा हसन ने बताया कि मल्टी कल्चरल पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार वही रहेंगे। ओसमा हसन ने बताया कि बिहार को जोशीले युवा मुख्यमंत्री की ज़रूरत है जो बिहार का चौमुखी विकास करा सके। मल्टी कल्चरल ही ऐसे युवा दे सकता है। मल्टी कल्चरल पार्टी सेअभि 243 सीटों पर इलेक्शन लड़ेगी। टिकट पाने की अहर्ताएं 1.मल्टी कल्चरल पार्टी टिकट 25 से 45 साल तक के ऐसे युवाओं को देगी जिन पर भ्रस्टाचार का कोई आरोप नही हो। 2.10 लाख से अधिक सालाना

गरीब महिलाओं को सम्मान दिलाने वाली अंजना कुमारी का सड़क दुर्घटना में देहांत

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*गरीब महिलाओं को सम्मान दिलाने वाली अंजना कुमारी का रोड गुर्घटना में देहांत*  शोक सभा मे दी गयी श्रद्धांजलि समस्तीपुर: जीविका के प्रखण्ड परियोजना क्रियान्वयन इकाई, कल्याणपुर में कार्यरत सामुदायिक समन्वयक अंजना कुमारी की आकस्मित म्रत्यु पर प्रखण्ड कार्यालय में शोक सभा मे श्रद्धांजलि अर्पित की गई। प्रखण्ड परियोजना प्रबंधक अरुण कुमार ने कहा कि अंजना की म्रत्यु जीविका कल्याणपुर के लिए अपूरणीय क्षति है। अंजना प्रखण्ड के तीन पंचायतों के 400 से अधिक समूहों और 20 ग्राम संगठनों को देखती थीं। समूह से जुड़ी गरीब महिलाओं को सम्मान दिलाने और उन्हें आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने के   लिए हमेशा प्रयासरत रहती थीं। अंजना बहुत शांत स्वभाव की शुशील महिला थीं।  ज्ञातव्य हो कि दिनांक 18/08/2020 को कार्यालय से घर जाने के क्रम में चार चक्का गाड़ी द्वारा बुरी तरह दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी जिसके बाद उन्हें पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था । इलाज के क्रम में दिनांक 21/08/2020 को म्रत्यु हो गयी थी। अंजना के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार पूसा प्रखण्ड स्थित उनके ससुराल बथुआ ग्राम के हरिजन कॉलोनी में  किया

छोटे कारोबारियों को मिल सकता है 50 हज़ार से 10 लाख तक का मुद्रा लोन।

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कोरोना के प्रभाव के कारण बड़े शहरों में काम करने वाले  बड़ी संख्या में अपने घर लौट कर आए हैं। इनमे से अधिकतर अब अपने गांव में रह कर कुछ काम करना चाहते हैं। लेकिन काम शुरू करने के लिए उनके पास पैसे नही हैं। जीविका समूह से जुड़े परिवार समूह से ऋण ले कर काम शुरू कर रहे हैं। लेकिन उन्हें अपने काम को बढ़ाने के लिए और अधिक फण्ड की आवश्यकता होती है। ऐसे लोगों को घबराने की अवष्यकता नही है। इस पोस्ट और अगले कुछ पोस्ट में हम मुद्रा लोन के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे ताकि अच्छे से इसके बारे में समझ बम जाए। अति छोटे, छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए मुद्रा काफी सही लोन है। आइए जानते हैं मुद्रा लोन क्या है। मुद्रा लोन क्या है? माइक्रो-यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (MUDRA) लोन उन प्रमुख उपायों में से एक है जिसे भारत सरकार ने अति-छोटे, छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMe) को राष्ट्रव्यापी रूप से बढ़ावा देने के लिए शुरू किया है। मुद्रा लोन योजना, मुद्रा बैंक योजना या  प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के रूप में भी जानी जाती है, ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की पहल के बाद इस पर अधिक ध्यान दिया गया है। योजना के

लॉकडाउन में जॉब गवां चुके मोहम्मद सद्दाम अब दूसरों को दे रहे हैं जॉब

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*लॉकडाउन में जॉब गवां चुके मोहम्मद सद्दाम अब दूसरों को दे रहे हैं जॉब* ताजपुर, समस्तीपुर (बिहार) के मुरादपुर बंगरा निवासी मोहम्मद सद्दाम जो स्नातक पास हैं और दिल्ली में सिलाई का काम करते थे लॉकडाउन के कारण अपनी जॉब गवां चुके थे । किसी तरह दिल्ली से अपने घर वापस आए। पिछले 2 महीने से अपने घर पर ही बैठे थे और कुछ काम करना चाहते थे। लेकिन  पैसे की कमी के कारण कुछ कर नही पा रहे थे। वो स्थानीय बैंक में भी मुद्रा लोन केलिए जा चुके थे लेकिन वहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी। इसी बीच मुरादपुर बंगरा पंचायत में माइग्रेंट वर्कर के साथ दो बैठक हुई। इसकी सूचना सद्दाम को भी दी गयी। सद्दाम को जब पता चला कि उसके काम के लिए जीविका से मदद मिल सकती है तब वो जीविका कार्यलय पर आए और उन्होंने अपना प्लान बताया तब उनका प्रोफाइल भर कर *इस्लामिया जीविका SHG* ( जिसमे सद्दाम की माँ सदस्य हैं) बैठक की गई और समूह से उन्हें कम शुरू करने के लिए 50 हज़ार का ऋण आसानी से मिल गया। अब उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया  है। सद्दाम ने अपने साथ 3और लोगों को काम दिया है। वो #लेडीजकुर्ती बना रहे हैं और आर्डर के इंतेज़ार में हैं

बांस कलाकारों को नही मिल रहा बाजार: जानिए कुमारी किरण की कहानी

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इनसे मिलिए ये हैं कुमारी किरण। ताजपुर प्रखण्ड के हरिशंकरपुर पंचायत की निवासी हैं।कलाकार हैं और  बाँस को इज़्ज़त देती हैं। यानी कुमारी किरण बांस के सुंदर सुंदर समान बनाती हैं। ये इनका खानदानी पेशा है। इन्होंने अपने पिता जी से इस काम को सीखा था। शादी के बाद उन्होंने काम को करना कम कर दिया। या यूं कहें कि इस काम को करना बंद ही कर दिया था। इनके पास न तो पूंजी थी और न ही इसे बेचने के लिए बाजार। लेकिन जब ताजपुर (समस्तीपुर, बिहार) में जीविका आई तो इनके लिए वरदान साबित हुआ। कुमारी किरण ने सबसे पहले जीविका समूह में सदस्य के रूप में जॉइन किया। फिर वो जीविका में कम्युनिटी मोबीलाइज़र (जीविका मित्र) बनी ताकि कुछ पैसा अर्जित कर सकें। समूह से ऋण लेकर उन्होंने किराने की दुकान खोली। लेकिन जीविका के प्रखण्ड स्तरीय कर्मचारियों को पता चला कि ये बहुत अच्छी कलाकार हैं। तो उन्हें मोटीवेट कर अपना काम शुरू करने के लिए कहा। कुमारी किरण ने काम शुरू किया और जीविका के माध्यम से मेले में भी जाने लगीं जिससे उनके कलाकारी को सराहना मिली और घर की आर्थिक तंगी भी खत्म होने लगी। लेकिन साल 2020 कुमारी किरण और उनके परिवार

अगर बकरी पलकों को नही मिला बाजार तो क्या हो सकता है अर्थव्यवस्था पर असर।

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बकरी पालन गरीब ग्रामीण परिवार का शुरू से एक मत्त्वपूर्ण जीविकोपार्जन का साधन रहा है। एक से कम एक बकरा हर परिवार में देखने को मिल जाएगा। इसे गरीबों का ATM भी कहा जाता है। जब भी ज़रूरत हुई इसे बेच लिया और अपनी जरूरत को पूरा कर लिया। कई लोग बकरीद के लिए खास कर बकरा पालते हैं। एक साल दो साल से इसकी सेवा करते हैं कि बकरीद के समय मे इसकी अच्छी कीमत मिल जाएगी। और अक्सर मिल भी जाती है। कोरोना के कारण लॉकडाउन से पहले ही ग्रामीण अर्थव्यस्था की हालत खस्ता है। काम नही मिलने के कारण ग्रामीणों की खरीदने की क्षमता घटती जा रही है। लॉकडाउन खुलने से धीरे धीरे मार्किट में चहल पहल आ रही थी। लेकिन इस चहल पहल के साथ कोरोना ने भी अपना प्रसार बढ़ा लिया। मजबूरी में बिहार सरकार को फिर से लॉकडाउन करना पड़ा। लेकिन इस लॉकडाउन से उन गरीबों के बकरों का क्या होगा जो उन्होंने साल दो साल से बकरीद के लिए पाल पोस कर रखा था? क्या ये अपने बकरों को बेच पाएंगे? अगर बेच भी पाए तो क्या उन्हें इन बकरों का सही कीमत मिल पायेगा? सरकार को इनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए ताकि इन्हें अपने बकरों का सही कीमत मिल सके। अगर ग्रा

मेरे सपने में आए मोदी जी: बता गए कोरोना का उपचार

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मेरे सपने में आए मोदी जी .................................... पिछले 3-4 दिनों से मैं बेचैन हूं कि मैं ये बात मैं कैसे बताऊं की मेरे सपने में मोदी जी(प्रधानमंत्री) आये और उन्होंने कोरोना से बचने का तरीका मुझे बताया। मैं ये भी सोच रहा था अगर बता भी दिया तो लोग मेरे बातों का यकीन करेंगे क्या। इनसब की परवाह किए बग़ैर आज मैं अपने पूरे होश व हवास में आप सब के सामने मैं मोदी जी के बताए हुए इलाज को आप सब के सामने रख रहा हूं। मोदी जी मेरे सपने में प्रकट हुए और मुझे कहा कि कोरोना को लेकर लोग बहुत ज़्यादा परेशान हैं इसलिए मैं तुम्हारे माध्यम से सबको इसका इलाज बताना चाहता हूं। मैंने उत्सुकता से पूछा क्या है इसका इलाज? उन्होंने बताया कि जो लोग मेरे कहने पर गंजे होंगे उनका कोरोना कुछ नही बिगाड़ पाएगा। वो लोग कोरोना से सुरक्षित रहेंगे। मैंने कहा ये कैसी दवा है? ये मेरे समझ से परे है। कोरोना से बचने की लिए तो सामाजिक दूरी रखने , मास्क लगाने और हाथों को हर घंटे धोने और sanatize करने के लिए कहा जाता है। ये आप क्या कह रहे हैं। उन्होंने कहा ये सब अपनी जगह है लेकिन कोरोना से बचना है तो गंजा होना होगा।

कहीं आपके आस पास के गरीब lockdown के कारण भूखे तो नही रह रहे हैं।

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अभी तक भारत मे कुल 700 से अधिक मामले कोरोना के मरीज़ पहचान में आ चुके हैं 16 की म्रत्यु भी हो चुकी। कोरोना के मरीजों की संख्या और म्रत्यु में रोज़ बढ़ोतरी हो रही है। स्थिति गंभीर है। इस स्थिति में नियमो के पालन करने में ही भलाई है। अपने अपने धर्म के अनुसार पूजा अपने घरों पर ही करें। भीड़ कहीं भी जमा न करें। ज़िद न करें। जान बचाना फ़र्ज़ है। #Lockdown का पालन करने में ही भलाई है। #Lockdown का असर समाज के गरीब तबके को सबसे ज़्यादा होने वाला है। सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ पैकेज का भी announce किया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राशन कार्ड धारियों को एक महीने का मुफ्त राशन और 1000 रुपय देने की बात कही है। केंद्र और राज्य सरकारें इस स्थिति से निपटने का हर सम्भव प्रयास कर रही है। हाँ इसमे भी कोई शक नही है कि स्वास्थ्य सेवाओं में हम पिछड़े हुए हैं। सरकारी सेवाओं के पहुचने में थोड़ा समय लग सकता है। जब तक guidline आएगी उस समय तक गरीब कोरोना की जगह भूख से भी मर सकते हैं। Guideline नही आने के कारण बिहार में मेरी जानकारी में इस महीने  मुफ़्त राशन नही मिल रहा है। ऐसे में हमारी और

मेरे स्टूडेंट ही मेरा संदेश हैं: मास्टर ग़ुलाम फ़रीद

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मेरे स्टूडेंट ही मेरा संदेश हैं: मास्टर ग़ुलाम फ़रीद ............................................................. शक्ल और पहनावे से साधारण से दिखने वाले असाधारण व्यक्तित्व के मालिक मास्टर गुलाम फरीद दरभंगा हेड क्वार्टर से 35 किलोमीटर दूर प्रखण्ड अलीनगर, दरभंगा (बिहार) के निवासी हैं। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने वालिद (पिता) श्री मंज़ूर हसन के पेशा को अपनाया। मंज़ूर हसन पेशे से शिक्षक थे। उन्होंने न सिर्फ अलीनगर बल्कि आस पास के इलाके के बच्चों को उस समय शिक्षा दी जब शिक्षा विरले ही किसी को मिलती थी। मंज़ूर हसन फ़ारसी और उर्दू के मशहूर शिक्षक थे। उर्दू और फ़ारसी अदब (साहित्य) पर उनकी मजबूत पकड़ थी। ग़ुलाम फरीद ने अपने पेशे की शुरुआत उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले से की। उस समय उनके बड़े भाई मंसूर हसन गोरखपुर में रेलवे में मोलाज़िम थे। गोरखपुर के जनता इंटर कॉलेज में बतौर गणित और विज्ञान के शिक्षक के अपनी मोलाज़मत शुरू की। पढ़ाने के स्टाइल के कारण कुछ ही दिनों में वो कॉलेज में प्रसिद्ध हो गए। 1979 में बिहार में सरकारी नौकरी मिल जाने के कारण वो अपने पैतृक गांव अलीनगर वापस आ गए और पोहद्दी हाई स्