ए खुदा चाहे मेरी जान ले ले लेकिन इस बच्चे को दुरुस्त कर दे: रात भर बुजुर्ग मेरे लिए दुआ करता रहा- डॉ सुधाकर ठाकुर


ए खुदा चाहे मेरी जान ले ले लेकिन इस बच्चे को दुरुस्त कर दे: रात भर बुजुर्ग मेरे लिए दुआ करता रहा।
सुबह उठा तो पता चला उस बुजुर्ग की मौत हो गयी है।

बात सन 1994 की है मैं पटना में पढ़ता था अचानक बीमार पड़ गया इतना बीमार की जिंदगी खत्म ही समझो मुझे होस्टल के कुछ छात्रों और मेरे बड़े भाई ने पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल  में भर्ती करवाया ! डॉक्टर ने कहा बस और 10 मिनट देर होती तो बचना मुश्किल था मुझे इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया लोगों ने बताया कि मेरे बेड के दोनों बगल वाले आज हीं  दम तोड़ दिए हैं फिर मेरे बगल वाले बेड पर एक मुस्लिम बुजुर्ग भर्ती हुए मैं इतना बीमार था कि सिर्फ सुन सकता था बोलने की शक्ति नही बची थी ! मैंने रात भर उस मुस्लिम बुजुर्ग को  अपने अल्लाह से बस यही कहते देखा  कि ए खुदा चाहे मेरी जान ले ले लेकिन इस बच्चे को दुरुस्त कर दे क्योंकि मैंने तो अपनी जिंदगी जी ली लेकिन इसे तो जीना है ,पता नही कब मेरी आँखें बंद हो गयी और मैं गहरी नींद में सो गया सुबह आंखे तब खुली जब मैंने उस बुजुर्ग मुस्लिम के परिवार जनों को उनके मैय्यत पर रोते देखा ! मैं कैसे कह सकता था कि इस महान आदमी ने रात भर मेरी जिंदगी की गुहार लगाई है अपने रब से, मैं सिर्फ टकटकी लगाकर देख रहा था मेरी आँखें नम थी मुख निःशब्द था !

मुझे नहीं पता था इस देश की सियाशत इस ओर भी जाएगी जब ऐसे फरिश्तों को भी शक की निगाह से देखा जाएगा और मैं उस समय भी कुछ नहीं बोल पाऊंगा और न कुछ कर पाऊँगा मैं कल भी निःशब्द था मैं आज भी निःशब्द हूँ !

( मेरे जीवन की एक सच्ची घटना )

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