जब मैंने पहली बार ब्लड डोनेट किया उस समय 48 किलो मेरा वज़न था।

 जब मैंने पहली बार रक्तदान किया

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जब मैंने पहली बार रक्तदान किया उस समय मेरा वज़न मात्र 48 किलो था। उस वक़्त Tabrez Ahmad  भाई ने भी मेरे साथ अपोलो हॉस्पिटल दिल्ली में 2007 में रक्तदान किया था। Mosharraf भाई,  Sajjad भाई और Md Fahim  भाई को शायद याद हो। उस दिन ह्यूमन राइट्स की टीम NHRC विजिट पर गयी थी।  कई बार ऐसा हुआ जब मेरे वजन की वजह से मेरा ब्लड नही लिया गया। एक बार होली फैमिली में  ब्लड देने पहुंचा तो वहाँ पर कुछ महिलाओं ने मुझे देख कर कहा कि मेरा ब्लड ले लो इस बच्चे का ब्लड मत लो। एसकोर्ट हार्ट में तो खूब केले खा कर गया था कि वजन कम न हो फिर भी 49 किलो तक ही पहुच सका और मेरा ब्लूड लेने से इनकार कर दिया । उस वक़्त बहुत अफसोस हुआ था कि इस लायक भी नही की किसी के काम आ सकूं। ख़ैर अल्लाह ने मेरी सुन ली और मेरा थोड़ा वजन बढ़ा। अब अल्लाह का शुक्र है 60 किलो का हूं और कल के कैम्प में मैने 8वीं बार  ब्लूड  डोनेट किया। इस मेरे बगल वाले चौकी पर Asif Iqubal भाई हैं। इस बार 35 रक्तविरों के साथ मंसूर हसन रिसर्च फाउंडेशन के ब्लड डोनेशन कैम्प में मैंने ब्लड डोनेट किया।  अब इंशा अल्लाह हर तीन महीने पर ब्लड डोनेट करूंगा। मेरा खून अगर किसी के काम आए तो मैं अपने आप को खुश नसीब समझूंगा। 


जान कर बहुत दुख होता है कि भारत मे 30 लाख लोग इस लिए मर जाते हैं कि उन्हें ब्लड नही मिल पाता है। एक अरब की आबादी में 1 करोड 20 लाख यूनिट का इंतेज़ाम नही हो पाता। यानी एक प्रतिशत आबादी भी ब्लड डोनेट नही करती।

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