370 मुक्त भारत या कुपोषण मुक्त भारत: भारत के लिए क्या है ज़रूरी?

370 मुक्त भारत या कुपोषण मुक्त भारत: भारत के लिए क्या है ज़रूरी?
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Osama Hasan

जितना हल्ला हमने  आर्टिकल 370 के लिए किया है अगर उसका 10 प्रतिशत भी कुपोषण के लिए किया जाता तो शायद हमारी ये हालत न होती। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे - 4 के अनुसार 2015- 16 के अनुसार भारत मे 38.4% बच्चे स्टंट ( नाटे) हैं और 35.8 % बच्चे underweight हैं। ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स में भारत का स्थान 195 देश के सूची में 158 है।
ऐसे बच्चे जो अपने उम्र के अनुसार या तो बहुत नाटे होते हैं या दुबले उन्हें कुपोषित बच्चा माना जाता है। माँ का पोषण का स्तर, दूध पिलाने का व्यवहार, महिला शिक्षा और सफाई आदि कुपोषण के कारक हैं। कुपोषण बच्चों को कई तरीके से प्रभावित करता है। कुपोषण के कारण बच्चों में तरह तरह की बीमारियां होती हैं, बच्चों में नाटापन होता और विकास बहुत धीमा होता है।
कुपोषण का असर सिर्फ स्वास्थ्य पर ही नही पड़ता है बल्कि इसके असरात जीवनपर्यंत रहते हैं। इसका प्रतिकूल प्रभाव मानव संसाधन, गरीबी देश के विकास पर भी पड़ता है। शोध बताते हैं कि कुपोषण का असर व्यक्ति विशेष के शिक्षा पर पड़ता है और ऐसे लोगों को जॉब opporchunity भी कम मिलती है।  The World Bank says, “A 1% loss in adult height due to childhood stunting is associated with a 1.4% loss in economic productivity”.
नेशनल न्यूट्रिशनल स्ट्रेटेजी 2017 ने 2022 तक भारत को 2022 तक कुपोषण मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके अनुसार 0-3 वर्ष के बच्चों में stunting को 3% प्रतिवर्ष कम करने का लक्ष्य  रखा गया है। क्या इस लक्ष्य को प्राप्त करना सम्भव है जबकि पिछले दशक (2006-2016) के बीच मात्र 1% की दर से ये कमी आई है।

ये तभी सम्भव है जब स्वास्थ्य क्षेत्र में जायद से ज़्यादा खर्च हो। सभी विभाग मिल कर इस पर काम करें। इसके खिलाफ सभी पार्टी को मिल कर सभी वर्ग और पंथ के लोगों को मिल कर जन आंदोलन शरू करना होगा। कुपोषण एक राष्ट्रीय अभिशाप है। इस अभिशाप को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता है। लेकिन अफसोस है हमे अनुच्छेद 370 और हिन्दू मुस्लिम करने से फुर्सत नही है। मेरी नज़र में अनुच्छेद 370 को खत्म करने से ज़्यादा महत्वपूर्ण कुपोषण को खत्म करना है। क्योंकि 370 के प्रोविशन्स के साथ भी कश्मीर भारत का हिस्सा था और आज भी है। हमारे संविधान में 370 जैसे विशेषाधिकार दूसरे राज्यों को भी दिए गए हैं। एक तो कुपोषण के कारण हमारे देश का नाम खराब है दूसरा अनुच्छेद 370 के प्रोविशन्स को हटाने में जो बल का प्रयोग हो रहा है और मानवाधिकार के संस्थानों के द्वारा जो रिपोर्ट दी जा रही है उससे भी देश का नाम खराब हुआ है। जितनी मेहनत और दिमाग अनुच्छेद 370 को खत्म करने के लिए लगया गया है उतना दिमाग़ कुपोषण मुक्त भारत बनाने के लिए लगाया जाता तब देश के समग्र विकास की राह आसान होती।

Comments

  1. बहुत ही सही बात की तरफ ध्यान दिलाया है आपने

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