स्कूल फ्रेंड्स के साथ वर्चुअल मीटिंग एक अलग सा एहसास दे गया।

 वैसे तो हमारा हर दिन यादगार होता है। और मेरा सबसे अच्छा दिन वो होता है जिस दिन हम किसी की मदद कर पाते हैं। किसी के काम आ पाते हैं।


लेकिन आज का दिन कुछ अलग सा एहसास दे गया। और ऐसा कम ही होता है जब हम एक दिन पहले आने वाले दिन का इंतेज़ार करते हैं। कल जब सोमनाथ का मैसेज आया कि कल यानी संडे को स्कूल फ्रेंड्स के साथ वर्चुअल मीटिंग है उसी वक़्त से हम आज के दिन का इंतेज़ार कर रहे थे। 10 बजे से मीटिंग का समय था लेकिन हम 5 मिनट पहले ही जुड़ गए। कमाल तो ये था हमसे पहले भी कुछ साथी जुड़े हुए थे। मोबाइल के स्क्रीन पर सोमनाथ के साथ हम सबके चहिते शिक्षक गायत्री मैडम और गणेश सर भी थे। गणेश सर से समस्तीपुर में कभी कभी मुलाक़ात हो जाती थी लेकिन गायत्री मैडम से 23 साल के बाद मुलाकात हुई। जितने हम खुश थे गणेश सर और गायत्री मैडम भी उतनी ही खुश थीं उनके आंखों में चमक थी। धीरे धीरे  दीपक, प्रभास, दुर्गा, ज़हीर, राजेश, विप्लव, सुनील, शाहनवाज़, रत्ना और रजनी रजनी जुड़ते गए। कुछ देर सब एक दूसरे को कॉल करने में बिजी रहे कि सबको जोड़ा जाए। लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी सभी दोस्त नही जुड़ पाए। ज़ाहिर है सब के पास कुछ न कुछ ज़रूरी काम होता है और सब की अपनी अपनी प्राथमिकताएँ होती हैं। बिपिन, सुजय, इरफान, महबूब, सुजीत, मनीषा, पायल, पौलमी को आज की मीटिंग में मिस किया गया। औरों के पता नही पर मुझे दोस्तों के साथ वक़्त बिताना बहुत अच्छा लगता है। बात क्या हुई मुझे याद नही लेकिन सबका चेहरा देख कर ही बहुत खुशी हो रही थी। दोस्त अगर स्कूल के हों तो पुरानी यादें फिर से ताज़ा हो जाती हैं। 



आज जो खुशी मुझे मेरे दोस्तों से शिक्षको से बात करके हुई  किसी पर्व त्योहार में भी नही मिलती। 

सोमनाथ समेत सारे दोस्तों का ये खुशी देने के लिए दिल से शुक्रिया।

उम्मीद करता हूं फिर से इस तरह की मीटिंग होगी जिसमें बाकी के साथी भी जुड़ेंगे।


जो खुशी मुझे मिली है अगर आप भी वो खुशी पाना चाहते हैं तो अपने बचपन के दोस्तोँ को ढूंढ कर उंनसे बात करें।

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