शादी के समय आठवीं में पढ़ती थी 20 साल बाद ग्रेजुएशन भी किया

आस पास के लोगों के लिए बन चुकी हैं आदर्श
जेठानी बनी प्रेरणा की श्रोत
समस्तीपुर/ताजपुर

ग्रेजुएशन पास करने के बाद सविता के खुशी का ठिकाना नही है। ऐसा लगता है कोई बड़ा जंग जीत चुकी हैं। खुशी के मारे सविता दीदी के आंखों से आँसू छलक रहे थे और कह रही थीं। मैन सपने में भी नही सोचा था कि एक गाँव की लड़की जिसकी शादी आठवीं कक्षा में ही हो जाती है वो ग्रेजुएशन भी कर सकती है।
 1986 में जन्मी सविता कुमारी का विवाह 1999 में उस समय कर दिया जाता है जब वो मात्र 13 वर्ष की थीं और आठवीं कक्षा की छात्रा थीं। शादी के बाद अन्य महिला की तरह सविता कुमारी सविता देवी हो जाती हैं और उनके शिक्षा पर रोक लगा दिया जाता है। लेकिन जब दिल मे ललक हो तो रास्ते बन ही जाते हैं। 2007 तक जब सविता 2 बच्चे की माँ बन जाती हैं उस समय सहायिका बनने का शौक जागता है। उनके पंचायत रहीमाबाद में सहायिका की रिक्तियां निकलती है जिसे वो भरती हैं। लेकिन किसी कारण वस उसे कैंसिल कर दिया जाता है। लेकिन उनके अंदर पढ़ने की ललक जाग जाती है। ये पूछे जाने पर की उन्हें पुनः पड़ने की प्रेरणा कहाँ से मिली और किसने पढ़ाई में मदद की सविता देवी बताती हैं कि उनकी जेठानी जो उस समय शिक्षक बनी थीं। उन्होंने उन्हें मैट्रिक करने के लिए प्रेरित किया और फार्म भेने के लिए पैसे से भी मदद की। 2007 में सविता देवी मैट्रिक का इम्तेहान पास कर जाती हैं जिससे उन्हें काफी उत्साह मिलता है और उसी उत्साह के सहारे 2009 में इंटर भी पास कर जाती हैं। लेकिन उसके बाद फिर उनकी पढ़ाई में ब्रेक लग जाता है।

     
        2012 में सविता देवी पीसीआई जो स्वास्थ्य पर काम करने वाली एनजीओ है में सहेली के तौर पर काम शुरू कर देती हैं।2014 में जीविका के आने के बाद जीविका मित्र के तौर पर काम करना शुरू करती हैं। सविता देवी पुनः बताती हैं कि जीविका में आने के बाद सामुदायिक समंवयक कुमारी स्मिता वर्धन दीदी और संजीत भैया के प्रेरणा से ग्रेजुएशन में नामांकन करा लेती हैं। बताती हैं कि स्मिता दीदी अक्सर बोला करती थीं कि सविता दीदी ग्रेजुएशन कर लीजिए आगे काम आएगा,मास्टर बुक कीपर में या जीविका में समुदिक समंवयक या उससे ऊंचे पोस्ट पर अप्लाई कर सकेंगी। 2015 में नामांकन कराया और 2019 में सविता दीदी ने ग्रेजुएशन पूरा कर लिया। इस प्रकार शादी के 20 साल के बाद उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। और अब जीविका मित्र (CM) से पदोन्नति पाकर जीवन सहारा जीविका महिला संकुल संघ में मास्टर बुक कीपर हैं।
 सविता देवी बताती हैं कि ये 20 साल का सफर इतना आसान नही था। लोग मज़ाक़ उड़ाने वाले भी थे घर मे जेठानी के अलावा किसी का सपोर्ट नही था। हालांकि बाद में पति ने भी काफी मदद की। एक घरेलू महिला के लिए बच्चों की परवरिश के साथ साथ पढ़ाई करना आसान नही होता है। खेती करना, घर का काम देखना बच्चों की परवरिश करना और साथ मे समूह की बैठक कराते हुए पढ़ाई करना आसान नही होता। लेकिन जब आपके अंदर की इक्षा शक्ति प्रबल होती है तब बड़ा से बड़ा काम भी किया जा सकता है। सविता देवी बताती हैं कि उनके पढ़ने से उनके बच्चों में भी पढ़ने की ललक पैदा हुई और इसी साल उनके बड़े पुत्र ने मैट्रिक में 90% से अधिक अंक प्राप्त कर नाम रौशन किया। अब आस पास में जो अपने बच्चों को नही पढ़ाते थे पढ़ाने लगे हैं। शिक्षा का माहौल बना है। उनका मानना है कि शिक्षा गरीबी को दूर करने का सबसे प्रबल माध्यम है। सभी के लिए शिक्षा आवश्यक है। इसका कोई उम्र नही होता। इतना ही नही सविता देवी समूह से ऋण लेकर अपना बिज़नेस भी करती हैं। उनका बिज़नेस भी अनोखा जिसकी कहानी अगले लेख में बताई जाएगी।

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