जीविका समूह में जुड़ कर बदल रही है जिंदिगी।जानिए समस्तीपुर के एक समूह की कहानी
काफी दिनों बाद SHG मीटिंग में गया। समूह का नाम है बाबा ख्वाजा स्वयं सहायता समूह।समूह के 12 सदस्यों में से 11 मुसलमान। 11 हवारी यानी धोबी जाति के मुसलमान। हमने जानने की कोशिश की समूह से जुड़ने के बाद कुछ फायदा भी हुआ या बस यूं ही चल रहा है। जो जवाब मिला वो सुन कर खुशी हुई। सब ने कहा बहुत फायदा हुआ है। मुझे और उत्सुकता हुई। मैंने पूछा क्या फायदा हुआ? इसमे से अक्सर सदस्यों ने कहा समूह से ऋण ले कर घर बनाया, शौचालय बनाया। हमने पुछा क्या आपके पास पहले घर नही था? सब ने एक साथ कहा था लेकिन करकट का या खपड़े या टट्टी का। समूह से ऋण लेकर पक्का करवाया। इसी बीच एक दीदी ने कहा हमरे 50000 की ज़रूरत है छत ढलवाने के लिए। यानी कुछ और दीदी छत ढलवाने के लिए बची हैं। हमने पूछा घर बनवाने से आमदनी तो नही बढ़ेगी। आमदनी बढ़ाने के लिए क्या किया? तब उन्होंने बताया कि बकरी, गाय खरीद कर पाल रही हैं। ज़मीन ठीका पर ले कर खेती कर रही हैं। उनमें से एक दीदी ऐसी थीं जिनके जिंदिगी में आमूल चूल परिवर्तन देखने को मिला। ये परिवर्तन आया शराब बंदी के कारण। पहले उनके पति शराब पी कर घर को खराब किए हुए थे जो भी कमाई थी शराब या ताड़ी में चली जाती थी लेकिन शराब बंदी के बाद उन्होंने तौबा कर लिया। अब उनकी जिंदिगी बहुत अच्छे से गुज़र रही है। सभी दीदी ने समूह से ऋण लेकर शौचालय बनवाया है और बिना किसी को एक रुपया दिए हुए उन्हें प्रोत्साहन राशि भी मिली है।
जब दीदियों ने कहा कि गाय और बकरी पाल रही हैं तब खुद बखुद मेरे ज़ुबान पर सवाल आया कि गाय और बकरी का शेड या नाद कैसे बनवाईं। दीदी ने बताया कि समूह से पैसा लेकर। शायद उन्हें इस बात की जानकारी नही थी कि मनरेगा के माध्यम से गाय भैंस का नाद बनाया जाता है बकरी का शेड बनता है वर्मी पिट बनता है, मिट्टी भराई का काम होता है। अफसोस ये है कि दीदियों से जब मैंने पूछा कि मनरेगा जानती हैं तब उन्होंने कहा नही जानते हैं। तब मेरे साथ बैठे एरिया कोऑर्डिनेटर संदीप जी ने कहा लेबर कार्ड है तब सब ने कहा हाँ लेबर कार्ड है लेकिन मुखिया जी के पास है। हमने उनसे पूछा कि काम करेंगी सब ने कहा ज़रूर करेंगे।
पास में ही बैठे चचा जो मेरी बातों को ग़ौर से सुन रहे थे। बैठक खत्म होने के बाद कहा कि यहाँ पर 30 घर मुस्लिम धोबी का है। सब की हालत ऐसी ही है। उन्होंने कहा अब बूढ़ा हो गया हूं कुछ काम नही कर पाता। उम्र तो 70 साल है लेकिन आधार में 54 ही है जिसकी वजह से वृद्धा पेंशन भी नही मिलता। उन्होंने कहा कि आप मनरेगा की बात कर रहे थे। हमको भी अपने घर के आगे मिट्टी भरवाना है। मुखिया जी को बोले भी हैं। लेकिन नही हो पाया है।
हमने उन्हें बताया कि हर तीन महीने पर वार्ड सभा का आयोजन होता है। उसमें सभी लोग अपनी मांग को रखिये और वार्ड सभा से अनुमोदन के बाद ग्राम सभा से अनुमोदन करके उस योजना का लाभ उठाया जा सकता है।
सिर्फ एक जीविका से लोगों में काफी बदलाव आया है अगर सारी परियोजनाएं एक एक लोग तक पहुच जाए तो कितना बड़ा बदलाव होगा। हम सरकारी परियोजनाओं को दीदी तक पहुचाने में असफल रहे हैं। इस साल मेरा टारगेट सरकारी परियोजनाओं खास कर मनरेगा के लाभ एक एक जीविका दीदी तक पहुचना रहेगा।
अगर आप गांव से हैं और आप के आस पास कोई गरीब दीदी है जो समूह से नही जुड़ी हैं उन्हें यथा शीघ्र समूह से जोड़ दें।
जब दीदियों ने कहा कि गाय और बकरी पाल रही हैं तब खुद बखुद मेरे ज़ुबान पर सवाल आया कि गाय और बकरी का शेड या नाद कैसे बनवाईं। दीदी ने बताया कि समूह से पैसा लेकर। शायद उन्हें इस बात की जानकारी नही थी कि मनरेगा के माध्यम से गाय भैंस का नाद बनाया जाता है बकरी का शेड बनता है वर्मी पिट बनता है, मिट्टी भराई का काम होता है। अफसोस ये है कि दीदियों से जब मैंने पूछा कि मनरेगा जानती हैं तब उन्होंने कहा नही जानते हैं। तब मेरे साथ बैठे एरिया कोऑर्डिनेटर संदीप जी ने कहा लेबर कार्ड है तब सब ने कहा हाँ लेबर कार्ड है लेकिन मुखिया जी के पास है। हमने उनसे पूछा कि काम करेंगी सब ने कहा ज़रूर करेंगे।
पास में ही बैठे चचा जो मेरी बातों को ग़ौर से सुन रहे थे। बैठक खत्म होने के बाद कहा कि यहाँ पर 30 घर मुस्लिम धोबी का है। सब की हालत ऐसी ही है। उन्होंने कहा अब बूढ़ा हो गया हूं कुछ काम नही कर पाता। उम्र तो 70 साल है लेकिन आधार में 54 ही है जिसकी वजह से वृद्धा पेंशन भी नही मिलता। उन्होंने कहा कि आप मनरेगा की बात कर रहे थे। हमको भी अपने घर के आगे मिट्टी भरवाना है। मुखिया जी को बोले भी हैं। लेकिन नही हो पाया है।
हमने उन्हें बताया कि हर तीन महीने पर वार्ड सभा का आयोजन होता है। उसमें सभी लोग अपनी मांग को रखिये और वार्ड सभा से अनुमोदन के बाद ग्राम सभा से अनुमोदन करके उस योजना का लाभ उठाया जा सकता है।
सिर्फ एक जीविका से लोगों में काफी बदलाव आया है अगर सारी परियोजनाएं एक एक लोग तक पहुच जाए तो कितना बड़ा बदलाव होगा। हम सरकारी परियोजनाओं को दीदी तक पहुचाने में असफल रहे हैं। इस साल मेरा टारगेट सरकारी परियोजनाओं खास कर मनरेगा के लाभ एक एक जीविका दीदी तक पहुचना रहेगा।
अगर आप गांव से हैं और आप के आस पास कोई गरीब दीदी है जो समूह से नही जुड़ी हैं उन्हें यथा शीघ्र समूह से जोड़ दें।
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